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नई दिल्ली ( विशेष संवाददाता)
सुप्रीम कोर्ट ने नीट कोटा मामले के उस याचिका पर शुक्रवार को नोटिस जारी किया है जिसमें केंद्र द्वारा 29जुलाई 2021 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के तहत मेडिकल कोर्स के लिए ली जाने वाली नीट परीक्षा में अखिल भारतीय कोटा में 27% ओबीसी और 10% आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षण को लागू करने का निर्णय लिया गया है। लेकिन सरकार के इस अधिसूचना से कईयों में नाराजगी है।
एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील श्याम दीवान को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बी आई चंद्रचूर और न्यायमूर्ति बी बी नाग रत्ना की खंडपीठ ने कहा कि वर्तमान याचिका को उस याचिका के तहत टैग किया जाएगा जो पहले से ही मसला से संबंधित दायर किया गया है। कोर्ट ने बीते 6 सितंबर को न्यायमूर्ति चंद्रचूर के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी और सी डब्ल्यू एस आरक्षण को चुनौती देने वाली दो अलग-अलग रिट याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी करते हुए 20 सितंबर को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था।
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एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड विवेक सिंह के माध्यम से दायर की गई वर्तमान याचिका में कहा गया है कि अधिसूचना भारत संघ बनाम आर राजेश्वरन और अन्य (2003) 9 एससीसी 294 और भारत संघ बनाम के जयकुमार और अन्य (2008) 17 एससीसी 478 में शीर्ष न्यायालय के फैसले के सीधे उल्लंघन करती है। इसमें न्यायालय ने कहा था कि आरक्षण की आवश्यकता अखिल भारतीय कोटा की सीटों पर लागू नहीं होनी चाहिए।
. सुप्रीम कोर्ट याचिका में कहा गया है कि “50% इस अदालत द्वारा किसी भी प्रकृति की वरीयता के बिना केवल छात्रों को योग्यता के आधार पर सीटें प्रदान करने के लिए तैयार किया गया एक उपकरण है, जो डॉ प्रदीप जैन बनाम भारत संघ, यूओआई बनाम के जयकुमार, यूओआई बनाम आर राजेश्वरन के फैसले को पढ़ने से स्पष्ट है। यह स्पष्ट है कि संस्थागत वरीयता की कठिनाई को दूर करने के लिए और इस न्यायालय ने ऑल इंडिया कोटा के लिए पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में 50% सीटें आरक्षित करने का निर्देश दिया था, जो बिना किसी आरक्षण के होगा।”
सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर
डॉक्टरों ने अधिसूचना को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि इससे उस पूरे उद्देश्य को भी विफल कर दिया जाएगा जिसके लिए इन सीटों को आरक्षित किया गया था। याचिका में कहा गया है कि ऑल इंडिया कोटा 35 साल से अस्तित्व में है और ऑल इंडिया कोटा सीटों पर ओबीसी आरक्षण का आवेदन मनमाना, अनुचित और जनहित के खिलाफ होगा। याचिका में भी कहा गया है, “अत्यधिक आरक्षण शिक्षा के न्यूनतम मानकों से समझौता करता है। सरकार शिक्षा के स्तर से समझौता नहीं कर सकती है या राष्ट्रीय हित के लिए विद्वानों की दक्षता को कम नहीं कर सकती है। राष्ट्र के व्यापक हित में किसी भी क्षेत्र में योग्यता और उत्कृष्टता को कम करना खतरनाक हो सकता है।
Posted by – Team India Advocacy