नई दिल्ली. नए श्रम कानूनों (labour code law) को 1 अक्टूबर 2021 से लागू करना काफी मुश्किल नजर आ रहा है. मोदी सरकार जल्द से जल्द श्रम संहिताओं (Labour Codes) को लागू करना तो चाहती है, लेकिन यह वित्त वर्ष 2021-22 में लागू होने की उम्मीद कम ही है. इसका कारण राज्यों की ओर से नियमों का मसौदा (Draft Rules) बनाने में देरी को बताया जा रहा है. साथ ही उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों (UP Assembly Elections 2022) को भी इसके लागू होने में देरी का बड़ा कारण माने जा रहे हैं.
नया कानून लागू होने से घट जाएगी टेक होम सैलरी नए श्रम कानून लागू होने के बाद कर्मचारियों के हाथ में आने वाला वेतन (Salary Decrease) घट जाएगा. वहीं, कंपनियों को ऊंचे पीएफ दायित्व का बोझ उठाना पड़ेगा. नए ड्राफ्ट रूल्स के मुताबिक, बेसिक सैलरी (Basic Salary) कुल वेतन की 50 फीसदी या ज्यादा होनी चाहिए. इससे ज्यादातर कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव आएगा. बेसिक सैलरी बढ़ने से पीएफ और ग्रेच्युटी (PF & Gratuity) के लिए कटने वाला पैसा बढ़ जाएगा. बता दें कि इसमें जाने वाला पैसा बेसिक सैलरी के अनुपात में तय किया जाता है. अगर ऐसा होता है तो कर्मचारियों की टेक होम सैलरी (Take home Salary) घट जाएगी. हालांकि, रिटायरमेंट पर मिलने वाला पीएफ और ग्रेच्युटी का पैसा बढ़ जाएगा.
फिलहाल नहीं बढ़ेंगे कर्मचारियों के काम के घंटे नए मसौदा कानून में कामकाज के अधिकतम घंटों (Maximum Working Hours) को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव रखा गया है. हालांकि, लेबर यूनियन इसका विरोध कर रही हैं. कोड के ड्राफ्ट रूल्स में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त काम को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम (Overtime) में शामिल करने का प्रावधान है. मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम नहीं माना जाता है. वहीं, कर्मचारियों को हर पांच घंटे के बाद आधा घंटे का आराम देना होगा. बता दें कि संसद इन चार संहिताओं को पारित कर चुकी है, लेकिन केंद्र के अलावा राज्य सरकारों को भी इन संहिताओं, नियमों को अधिसूचित करना जरूरी है. ये नियम 1 अप्रैल 2021 से लागू होने थे, लेकिन तैयारी पूरी नहीं होने के कारण इन्हें टाल दिया गया.
Posted by: India Advocacy Team